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छोटी छोटी चित्तरायीं यादें..
बीछी पडी है लम्हों की लौन पर..
नंगे पैर उनपे चलते-चलते
इतनी दुर आ गये है,
की अब भुल गये है जुते कहां उतारे थे...
एडी कोमल थी जब आयें थे,
थोडी सी नाजुक है अभी भी..
और नाजुक ही रहेगी,
इन खट्टी-मीठी यादों की शरारत..
जब तक इन्हें गुदगुदाती रहेगी....
सच... भुल गये है जुते कहां उतारे थे...
पर लगता है की.. अब उनकी जरूरत नही.....!!
बीछी पडी है लम्हों की लौन पर..
नंगे पैर उनपे चलते-चलते
इतनी दुर आ गये है,
की अब भुल गये है जुते कहां उतारे थे...
एडी कोमल थी जब आयें थे,
थोडी सी नाजुक है अभी भी..
और नाजुक ही रहेगी,
इन खट्टी-मीठी यादों की शरारत..
जब तक इन्हें गुदगुदाती रहेगी....
सच... भुल गये है जुते कहां उतारे थे...
पर लगता है की.. अब उनकी जरूरत नही.....!!
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- Written By Amitabh Bhattacharya
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